केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने अपने साथी नेताओं को सलाह दी है. उन्होंने कहा कि नेताओं को दूसरे क्षेत्रों में दखल नहीं देना चाहिए, बल्कि विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, साहित्य और काव्य जगत के लोगों को अपने मामले खुद निपटाने देना चाहिए. नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने यह बात यवतमाल में सालाना मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन समारोह में कही. आपको बता दें कि यह सम्मेलन लेखिका नयनतारा सहगल को दिया गया न्यौता वापस लेने की वजह से विवादों में रहा है. कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि ‘आपातकाल के दौरान दुर्गा भागवत और पीएल देशपांडे जैसे मराठी लेखकों के भाषणों के दौरान राजनीतिक रैलियों से ज्यादा भीड़ जुटती थी. ये दोनों लोग चुनावों के बाद साहित्य के क्षेत्र में लौटे थे. उन्होंने यहां तक कि राज्यसभा की सदस्यता जैसी राजनीतिक नियुक्ति की भी मांग नहीं की थी’. दुर्गा ने आपातकाल की खुल कर आलोचना की थी, जबकि देशपांडे ने आपातकाल हटने और 1977 में चुनाव की घोषणा होने के बाद जनता पार्टी के लिए प्रचार किया था.
